چهارده بند-ترجیعات فی مدیحه سیدالکائنات و اشرف الموجودات سید المرسلین و خاتم النبیین (ص)
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اى رهبر و رهنماى گمراه |
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وى هادى وادى خطرناک |
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عالم ز معارف تو واله |
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تو نغمه سراى ما عرفناک |
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یا اعظم صورت تجلى |
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فیها الله ما ادقَّ معناک |
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دامان جلالت اى شهنشاه |
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هرگز نفتد به دست ادراک |
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این بنده و مدح چون تو شاهى |
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حاشاک از این مدیحه حاشاک |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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اى مظهر اسم اعظم حق |
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مجلاى اتم نور مطلق |
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اى نور تو صادر نخستین |
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وى مصدر هر چه هست مشتق |
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اى عقل عقول و روح ارواح |
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وى اصل هر محقق |
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اى شمس شموس و نور انوار |
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وى اعظم نیرات اَشرَق |
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اى فاتحه کتاب هستى |
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هستى ز تو یافته است رونق |
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در سیر تو اى نبى ختمى |
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ذوالغایه به غایه گشت ملحق |
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اى آیه اى از محامد توست |
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قرآن مقدِّس مصدَّق |
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وصف تو به شعر در نگنجد |
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دریا نرود میان زورق |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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اى اصل قدیم و عقل اقدم |
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وى حادث با قدیم تواءم |
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در رتبه تویى حجاب اقرب |
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بودى تو نبى و در گل آدم |
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طغراى صحیفه وجودى |
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هر چند تویى کتاب محکم |
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با عزم تو چیست اى خداوند |
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قَدرِ قَدَرُ و قضاى مبرم |
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ملک و ملکوت در کف توست |
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چون خاتمى اى نبى خاتم |
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از لطف تو شمه اى است فردوس |
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وز قهر تو شعله اى جهنم |
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قد مَلَک است در برت راست |
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پشت فلک است بر درت خُّمِ |
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فهم خرد و زبان گویا |
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در وصف تو عاجزند و ابکم |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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اى صاحب وحى و قلب آگاه |
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داراى مقام لى مع اللّه |
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اى محرم بارگاه لاهوت |
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وى در ملکوت حق، شهنشاه |
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اى بر شده از حضیض ناسوت |
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بر رفرف عز و شوکت و جاه |
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وانگه ز سرادُقات عزَّت |
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بگذشتى و ماند امین درگاه |
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اى پایه قدر چاکرانت |
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بالاتر از این بلند خرگاه |
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از شرم، زرد چهره مهر |
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وز بیم تو دل، دو نیم شد ماه |
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این بوى بهشت عنبرین است |
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یا ذکر جمیل تو، در افواه |
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از نیل تو پاى و هم لنگ است |
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وز ذیل تو دست فهم کوتاه |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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مُلک و مَلکوت از تو پر نور |
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اى در تو عیان تجلى طور |
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با روى تو چیست بدر انور |
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با موى تو چیست لیل دیجور |
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روى تو ظهور غیبت مکنون |
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موى تو حجاب سرِّ مستور |
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در خطه مُلک استقامت |
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قد تو به اعتدال مشهور |
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اى از تو به پا نظام عالم |
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وى بى تو جهان هباءِ منثور |
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اول رقم تو لوح محفوظ |
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رَشح قلمت کتابِ مسطور |
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خر گاه تو فوق سقف مرفوع |
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درگاه تو رشک بیتِ معمور |
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مداحى من تو را چنان است |
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کز چشمه خور ثنا کند کور |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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اى گوهر قدس و فیض اقدس |
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وى صبح ازل اذا تنفس |
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ذات تو ز هر بدى منزه |
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ز آلایش نیستى مقدس |
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خاک در توست عرصه خاک |
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فرمانبر توست چرخ اطلس |
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دست من و دامن تو هیهات |
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عَنقا نشود شکار کرکس |
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طبع من و وصف صورت تو |
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معناى دقیق و طفل نورس |
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مدح تو چنان که لایق توست |
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در عهده خالق تو و بس |
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در نعمت تو هر بلیغ، ابکَم |
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در وصف تو هر فصیح، اَخرَس |
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نعت من و شأنِ تو تعالى |
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وصف من و قدر تو تقدَّس |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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اى نقطه مُلتقاى قَوسَین |
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وى خارج از احاطه أین |
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اى واسطه وجوب و امکان |
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وى مبداء و منتهاى کَونَین |
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اى رابطه قدیم و حادث |
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وى ذات تو جامع الکَمالَین |
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اى واحد بى نظیر و مانند |
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کز بهر تو نیست، ثانى اِثنَین |
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جز تو که نهاده پاى رفعت |
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بر عرش فکان قابِ قَوسَین |
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غیر از تو که فیض صحبت دوست |
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دریافت و لا حجاب فى البَین |
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دیدى و شنیدى آنچه را لا |
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اذنٌ سَمِعَت و لا رَأت عَین |
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با قدر تو وصف من بود نقص |
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با شأنِ تو مدح من بود شَین |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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اى بدر تمام و نیر تام |
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با نور تو نیرات اَجرام |
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در جنب تو، مُبدَعات، لا شى ء |
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با بودِ تو، کائنات اَعدام |
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اى نقش نخست و حرف اول |
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وى اُمِّ کتاب و اُمِّ اَقلام |
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اى مرکز جمله دوایر |
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آغاز ز توست، وز تو اَنجام |
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یک نفخه توست هر قدرِ فیض |
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وز یک نظر تو هر چه اَنعام |
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عالم همه یک تجَلّى توست |
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از صبح ازل گرفته تا شام |
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اى محرم خاص محفل قدس |
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وى بر همه خلق رحمت عام |
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مدح تو چنانکه در خور توست |
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از ما طمعى بُّود بسى خام |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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اى آینه تجلى ذات |
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مصباح وجود را تو مِشکات |
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اى ماه جمال نازنینت |
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نور الاَرضینُ و السَّماوات |
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چون شمس حقیقت تو سر زد |
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اعیان وجود جمله ذَرّات |
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ذات تو حقیقةُ الحقایق |
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نفس تو هُویةُ الهُوّیات |
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اى نسخه عالیات اَحرف |
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وى دفتر محکمات آیات |
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اى پایه رتبه مَنیعت |
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برتر ز مدارج خیالات |
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وى قامت معنى رفیعت |
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بیرون ز ملابس عبارات |
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در نَعت تو اى عزیز کونین |
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این جمله بضاعتى است مزجات |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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یا نَیر کل مُظلِم داج |
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یا هادىِ کلّ راشد ناج |
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دین تو چو شمع عالَم افروز |
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آئین تو چون سِراج وَهَّاج |
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اى صدر سریر قاب قَوسین |
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وى بدر منیر اوج مِعراج |
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ای گشته جواهرِ حقایق |
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در درج حقیقتِ تو اِدراج |
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در حلقه بندگان کویت |
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عقل است کَمین غلامِ مُحتاج |
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در منطقه بروج قدرت |
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برجى است سَماء ذاتِ اَبراج |
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بر فَرق سپهر و فَرَقدانَش |
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خاک در توست دُرُّة التّاج |
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با قدر تو چیست هر دو گیتى |
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یک قطره کنار بحر موّاج |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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اى عقل نخست و حقِّ ثانى |
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ذات تو حقیقةُ المَثانى |
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مِرآت وجود چون تواَش نیست |
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یک صورت و یک جهان معانى |
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اى در تو جمال حق نمودار |
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زیبنده توست مَن رآنى |
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اى طور تجلى الهى |
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صد همچو کلیم در تو فانى |
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گر کُنهِ تو را کلیم جوید |
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طور است و جواب لَن تَرانى |
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اى منشاء عالَمِ عناصر |
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وى مبداء فیضِ آسمانى |
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اى پادشه سریر سرمد |
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وى خسرو مُلکِ جاودانى |
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اوصاف تو در بیان نگنجد |
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ور هر سر مو شود زبانى |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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یا دافعِ جیشةُ الاباطیل |
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یا دامغِ صولةُ الاضالیل |
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قرآن تو بُرده حکم تورات |
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فرقان تو کرده، نَسخ انجیل |
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بر خوان تو ریزه خوار، میکال |
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طفلى است به مکتب تو جبریل |
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سیماى تو داده دادِ تکبیر |
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بالاى تو کرده، کارِ تهلیل |
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اى صورت تو، برون ز تشبیه |
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وى معنى تو، برون ز تمثیل |
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ذات تو، مثال ذات بى مثل |
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اوصاف تو، فوق حدِّ تکمیل |
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مشکات مقام جمع و اَجمال |
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مرآت مقام فرق و تفصیل |
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مدح تو و من خیال باطل |
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وصف تو و من نتیجه تعطیل |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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اى اصل اصیل و فَرعِ ممدود |
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وى جامع علم و دوحه جود |
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اى عین عیان و قلب عرفان |
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وى گنج نهان و سرِّ معبود |
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اى شمع جمال و نور مطلق |
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وى شاهد بزم غیبِ مشهود |
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اى نشئه نه جاى جلوه توست |
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میعاد، شهود و یومِ موعود |
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فرش ره توست عرش اعظم |
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عرش تو بُود مقام محمود |
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یا شافى صدر کل مَصدور |
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من أعذب منهل و مورود |
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از چشمه فیض توست سیراب |
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در دار وجود هر چه موجود |
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مدح تو نه حد ممکنات است |
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بى حدّ نشود محاط محدود |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |
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اى فیض مقدس از شَوائب |
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وى نور مهذب از غَیاهِب |
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ارواح ز فیض تو در اشباح |
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اى مظهر واهبُ المواهب |
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آفاق به نور تو مُنَوَّر |
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اى شمس مشارق و مغارب |
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ایجاد تو منتهى المقاصد |
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ابداع تو غایة المطالب |
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جَلَّ المَلِکُ البدیعُ صُنعَه |
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ما اودعَ فیکَ مِن عَجائب |
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یا مَن بفنائه الرَّواحِل |
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حَلَّت و اُنیخَت الرکائب |
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خرگاه تو مطرحُ الامانىّ |
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در گاه تو مَعقَلُ الرَغائب |
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با شأن تو چیست این مدایح |
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با قدر تو چیست این مَناقب |
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فرموده به شأنَت ایزد پاک |
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لولاک لما خلقتُ الافلاک |